ताजा समाचार

विश्व शांति और एकता का प्रतीक, ‘World Meditates with Gurudev’ कार्यक्रम

‘World Meditates with Gurudev’ कार्यक्रम ने 21 दिसंबर, 2024 को विश्व ध्यान दिवस के मौके पर इतिहास रच दिया। इस कार्यक्रम का आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर द्वारा किया गया, जिसमें दुनियाभर के 85 लाख से अधिक लोगों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से सामूहिक ध्यान किया। यह कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में अपना स्थान बनाने में सफल रहा और सभी पिछली रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया। यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें पूरे विश्व के लोग सामूहिक ध्यान में भाग लेने के लिए एकत्रित हुए थे।

21 दिसंबर: विश्व ध्यान दिवस

विश्व ध्यान दिवस के रूप में 21 दिसंबर को मनाने का उद्देश्य ध्यान के महत्व और इसके द्वारा जीवन में लाए जा सकने वाले सकारात्मक बदलावों को लोगों के बीच फैलाना था। इस दिन, श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में, आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें दुनिया भर के 180 से अधिक देशों के लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम ने ध्यान के परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रदर्शित किया और लोगों को मानसिक शांति, सुसंगति और एकता का अहसास कराया।

विश्व शांति और एकता का प्रतीक, 'World Meditates with Gurudev' कार्यक्रम

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और अन्य उपलब्धियां

इस कार्यक्रम ने कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड्स स्थापित किए हैं:

  • गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स: सबसे अधिक लाइव स्ट्रीमिंग पर ध्यान सत्र के दर्शक (YouTube पर)।
  • एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स: भारत के सभी राज्यों से एक ही दिन में ध्यान सत्र में सबसे अधिक भागीदारी।
  • वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन:
    • 24 घंटों में सबसे अधिक ऑनलाइन ध्यान के लिए YouTube पर व्यूज।
    • सबसे अधिक लाइव दर्शक किसी ध्यान सत्र के।
    • सबसे अधिक राष्ट्रीयताओं की भागीदारी एक ऑनलाइन ध्यान सत्र में।

इन रिकॉर्ड्स से यह स्पष्ट होता है कि ‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ कार्यक्रम ने वैश्विक स्तर पर ध्यान के प्रति जागरूकता फैलाने में बड़ी सफलता प्राप्त की है।

ध्यान का महत्व और श्री श्री रविशंकर का दृष्टिकोण

इस कार्यक्रम के दौरान, श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा, “ध्यान वह यात्रा है, जो आपको विचारों के माध्यम से जानने की प्रक्रिया से आत्म-संवेदनशीलता की ओर ले जाती है। ध्यान के लिए पहले आपको अत्यधिक सोच से छुटकारा पाना होता है और उस समय को महसूस करना होता है जो वर्तमान में है। इसके बाद आपको भावनाओं से परे जाकर आंतरिक शांति की ओर जाना होता है। यदि आप समझदार और संवेदनशील बनना चाहते हैं, तो आपको ध्यान करना चाहिए। ध्यान निष्क्रियता नहीं है, यह आपको और अधिक गतिशील और शांत बनाता है। एक क्रांतिकारी बनने के लिए भी आपको ध्यान की आवश्यकता होती है।”

श्री श्री रविशंकर के इस वक्तव्य ने ध्यान के असली अर्थ और उसकी शक्ति को स्पष्ट किया और यह दिखाया कि ध्यान केवल मानसिक शांति और राहत का साधन नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

आर्ट ऑफ लिविंग का योगदान

आर्ट ऑफ लिविंग ने इस पहल के माध्यम से एक सशक्त संदेश दिया कि ध्यान केवल एक व्यक्ति के जीवन में बदलाव नहीं लाता, बल्कि यह पूरे समाज और विश्व में शांति और समरसता का संदेश फैलाता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी वर्गों और आयु समूहों के लोग यह साबित करते हैं कि ध्यान की शक्ति हर किसी के जीवन में परिवर्तन ला सकती है। कार्यक्रम में किसानों से लेकर अंध विद्यालयों के छात्रों, कॉर्पोरेट्स, सैनिकों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, गृहिणियों और यहां तक कि जेलों में बंद कैदियों ने भी भाग लिया।

यह विविधता इस बात का प्रतीक है कि ध्यान का प्रभाव सार्वभौमिक है और यह सभी के जीवन में समृद्धि और शांति ला सकता है। आर्ट ऑफ लिविंग का यह कार्यक्रम एक वैश्विक आंदोलन के रूप में उभर रहा है, जो भीतर की शांति और वैश्विक एकता का प्रतीक बन गया है।

ध्यान से जीवन में बदलाव

ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है, जो न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारने में मदद करती है। जब हम अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं, तो हम अपनी दिनचर्या को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं। ध्यान से आत्म-ज्ञान और आत्म-संवेदनशीलता का विकास होता है, जिससे हम अपने उद्देश्य और जीवन के प्रति एक नई दृष्टि प्राप्त करते हैं।

‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब लोग एकजुट होकर ध्यान करते हैं, तो यह केवल व्यक्तिगत शांति का साधन नहीं बनता, बल्कि यह एक सामूहिक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो पूरे समाज और दुनिया को सकारात्मक दिशा में बदल सकता है।

आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित ‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ कार्यक्रम ने ध्यान की शक्ति को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई और इसे एक सामाजिक आंदोलन में बदल दिया। इस कार्यक्रम के माध्यम से श्री श्री रविशंकर ने न केवल ध्यान के महत्व को समझाया, बल्कि उन्होंने इसे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बनाने की प्रेरणा भी दी। इस कार्यक्रम ने दुनिया को यह दिखाया कि ध्यान केवल शांति और मानसिक स्थिति का सुधार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और वैश्विक एकता का एक शक्तिशाली साधन बन सकता है।

Back to top button